क्यूँ आजकल लोग ठोकरों से हार जाते है,
क्यूँ मंज़िल से पहले लोग डगमगा जाते है,
मिलती नहीं है मनचाही राह जिन्हें,
क्यूँ वो लोग अनजाने राहों पे घबरा जाते है,
तू अडिग तो रह अपनी कोशिशों में,
क्यूँ अपनी कोशिशों पे लोगों को संदेह हो जाते है।
ज़माने की बातों से होगा विचलित मन तेरा,
उम्मीदों के निगाहों पे लगेगा यहाँ पहरा,
बस उस पहरेदार निग़ाह के आगे ही तो बढ़ना है,
क्यूँ अपनी उम्मीदों को फ़िर लोग दबा जाते है,
ख़्वाहिश किया है अगर मुमकिन करने की हर कोशिश,
क्यूँ अपने ख़्वाहिशों को फ़िर लोग भूल जाते है।
रोकेंगे हज़ार हाथ तुझे आगे बढ़ने से,
नए नए ख़्वाब दिखाएंगे लोग बातों से,
आज भी कुछ हाथ नज़र आएंगे संभालने को,
क्यूँ उन हाथों को छोड़ आप बिखर जाते है।
~√€€π
क्यूँ मंज़िल से पहले लोग डगमगा जाते है,
मिलती नहीं है मनचाही राह जिन्हें,
क्यूँ वो लोग अनजाने राहों पे घबरा जाते है,
तू अडिग तो रह अपनी कोशिशों में,
क्यूँ अपनी कोशिशों पे लोगों को संदेह हो जाते है।
ज़माने की बातों से होगा विचलित मन तेरा,
उम्मीदों के निगाहों पे लगेगा यहाँ पहरा,
बस उस पहरेदार निग़ाह के आगे ही तो बढ़ना है,
क्यूँ अपनी उम्मीदों को फ़िर लोग दबा जाते है,
ख़्वाहिश किया है अगर मुमकिन करने की हर कोशिश,
क्यूँ अपने ख़्वाहिशों को फ़िर लोग भूल जाते है।
रोकेंगे हज़ार हाथ तुझे आगे बढ़ने से,
नए नए ख़्वाब दिखाएंगे लोग बातों से,
आज भी कुछ हाथ नज़र आएंगे संभालने को,
क्यूँ उन हाथों को छोड़ आप बिखर जाते है।
~√€€π
Shandar
ReplyDeleteThank you..
DeleteBht badhya.. 👌🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
ReplyDeleteThank you..
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