Wednesday, April 5, 2017

समझौता

कुछ करते है जो आज हम एक समझौता ही तो है,
कुछ कहते है जो आज हम एक समझौता ही तो है।

है ख़्वाब सुनहरे लगते वो बंद आँखों से जो दिखते है,
आँखे खुलते ही दिखा है जो वो समझौता ही तो है।

है उम्मीदों से भरा जीवन, है आशाओं से सजा जीवन,
पर मिलता है जब जो सामने वो समझौता ही तो है।

है राम बना फिर कौन यहाँ, है कृष्ण बना फिर कौन यहाँ
हम जो बने है आज यहाँ वो भी समझौता ही तो है।

है राह अलग अलग सबकी, है मंजिल पे भी जाना अलग,
ले जाता है पर राह जहाँ वो भी करता समझौता ही तो है।

है करना कुछ इस जीवन में, जिसपे हो एक अधिकार तेरा,
कर ले समझौता समझौते से, ये भी एक समझौता ही तो है।


~ वीर भद्र सांकृत्यायन
०५- ०४- २०१७