Tuesday, November 7, 2017

सब कुछ तय है

सब कुछ तय है



किनारे पे जाना भी तय है,
खुद को बहाना भी तय है,
मुक्कमल होगी हर कोशिश ,
नौके का ठिकाना भी तय है।

कोई आएगा रोकने को,
कोई मिलेगा टोकने को,
ये दस्तूर है जहाँ के होंगे ही,
वक़्त का इसे हटाना भी तय है।

कभी अंधेरा कभी उजाला होगा,
आशियाना कुछ सजाना होगा,
दीप जलाओगे जो अँधेरे में तुम,
उसका रात को बुझना भी तय है।


२७~०५~२०१७
~वीर भद्र सांकृत्यायन

Tuesday, October 10, 2017

Zindagi Khubsurat Hai...

ज़िंदगी ख़ूबसूरत है उसका रंग सब कहाँ पहचानें है,
मौत से जो डरते रहे है वो मौत को कहाँ जाने है,
मुस्कुराओ इतना कि सितारें भी खला से कह उठे,
तक़दीर के तहरीर को अपने तो बस यहीं पहचाने है।


~वीर भद्र सांकृत्यायन

Wednesday, September 27, 2017

ख़ामोशी है .....





ज़िन्दगी होश में है मेरी या फिर ये जहाँ बेहोश है,
दर्द देखती नहीं है दुनिया या फिर ये देखकर ख़ामोश है,
हर शक्श अपने आप को हमदर्द सबका समझे है,
वक़्त आने पर वही हमदर्द फिर क्यूँ ख़ामोश है।

जब किसानों पर मुसीबत बिन बादल ही बरसे है ,
तब वो नेता रुपयो के सेज़ पर लेटा हुआ ख़ामोश है
हज़ारो रुपये की पोशाक जो अपने बदन पर लपेटे है,
उनके चंद रुपये की मोल भाव पर गरीब फिर ख़ामोश है।

सहरा में अपने उम्मीदों का कोई शजर कैसे मिले,
चुभ रहे है पाँवों में काँटे फिर भी जहाँ ख़ामोश है,
अब किसको यहाँ इल्ज़ाम दे और फरियाद भी किससे करें,
देख अपने जहाँ की  हालत वो ख़ुदा भी ख़ामोश है।

~वीर भद्र सांकृत्यायन
२६-०९-२०१७

Wednesday, April 5, 2017

समझौता

कुछ करते है जो आज हम एक समझौता ही तो है,
कुछ कहते है जो आज हम एक समझौता ही तो है।

है ख़्वाब सुनहरे लगते वो बंद आँखों से जो दिखते है,
आँखे खुलते ही दिखा है जो वो समझौता ही तो है।

है उम्मीदों से भरा जीवन, है आशाओं से सजा जीवन,
पर मिलता है जब जो सामने वो समझौता ही तो है।

है राम बना फिर कौन यहाँ, है कृष्ण बना फिर कौन यहाँ
हम जो बने है आज यहाँ वो भी समझौता ही तो है।

है राह अलग अलग सबकी, है मंजिल पे भी जाना अलग,
ले जाता है पर राह जहाँ वो भी करता समझौता ही तो है।

है करना कुछ इस जीवन में, जिसपे हो एक अधिकार तेरा,
कर ले समझौता समझौते से, ये भी एक समझौता ही तो है।


~ वीर भद्र सांकृत्यायन
०५- ०४- २०१७